कांवड़ यात्रा: यूपी सरकार के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया खुद संज्ञान, केंद्र को भी नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 आशंकाओं के बावजूद कांवड़ यात्रा की अनुमति देने से 'थोड़ा परेशान' है। शीर्ष अदालत ने इस मसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से प्रस्तावित धार्मिक तीर्थयात्रा स्पष्टीकरण मांगा है।
जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि भारत के नागरिक पूरी तरह से हैरान-परेशान हैं और वे नहीं जानते कि क्या हो रहा है, क्योंकि विभिन्न राज्य कांवड़ यात्रा पर अलग-अलग रुख अपना रहे हैं।
पीठ ने पाया कि उत्तर प्रदेश लाखों लोगों को आकर्षित करने वाली कांवड़ यात्रा को जारी रखना चाहता है, जबकि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने अपने अनुभव के आधार पर कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर की आशंकाओं पर निलंबित कर दिया है।
बुधवार को छपी एक न्यूज रिपोर्ट का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने आश्चर्य जताया कि जिस दिन राज्य अपने फैसले ले रहे थे, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर-पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत के दौरान एक बयान दिया था कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करके महामारी की तीसरी लहर को रोकना लोगों पर निर्भर है और हम थोड़ा भी समझौता नहीं कर सकते।
पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि विभिन्न राजनीतिक आवाजों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि संबंधित सचिव (भारत सरकार) इस पर जवाब दें। पीठ ने केंद्र सरकार के संबंधित सचिव और यूपी व उत्तराखंड के प्रधान सचिव को शुक्रवार तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा कि चूंकि 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा प्रस्तावित है इसलिए अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। बुधवार को अदालती कार्यवाही के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अदालत में
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