Life on Jupiter Moon Europa: बृहस्पति के चांद पर मौजूद है जीवन! एक फुट नीचे ही पनप रही है जिंदगी

 


ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश कर रहे विशेषज्ञों के लिए अच्छी खबर है. जूपिटर यानी बृहस्पति ग्रह के चांद यूरोपा पर जीवन के संकेत मिले हैं. हालांकि इसे तलाशने के लिए रोबोट को जितना सोचा था, उससे कहीं ज्यादा गहराई में खोदना पड़ेगा. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है. शोध के मुताबिक यूरोपा के वातावरण में प्रवेश करने वाले रोबोट लैंडर्स को कम से कम 12 इंच की गहराई तक खुदाई करनी होगी.


बर्फीले चांद को ‘इम्पेक्ट गार्र्डेनिंग’ से टकराने के बाद यह परिणाम सामने आया है. दरअसल यह प्रक्रिया मोलेक्यूल्स से टकराने के बाद स्पेस रेडिएशन का परिणाम है. इन मोलेक्यूल्स में से कुछ को सतह पर लाया जाता है जबकि बाकी को नीचे की तरफ पुश कर सतह के निचले हिस्से से मिक्स किया जाता है. हवाई यूनिवर्सिटी की मानोआ प्लेनेटेरी रिसर्च वैज्ञानिक एमिली कोस्टेलो ने एक बयान में कहा, ‘अगर हमें कुछ प्राचीन, केमिकल बायोसिग्नेचर ढूंढने हैं तो हमें इम्पेक्ट गार्डेनिंग वाले जोन से थोड़ा नीचे जाना होगा. जोन की तुलना में उथले क्षेत्र में केमिकल बायोसिग्नेचर विनाशकारी रेडिएशन के संपर्क में आ सकते हैं.’


पहले 8 इंच खोदने की बात कही गई थी


पिछले शोध में माना गया था कि कोई भी लैंडर अगर बर्फ में 8 इंच तक खुदाई करता है तो उसे बायोसिग्नेचर के सबूत मिल सकते हैं. यूरोपा या हमारे सौरमंडल के अन्य हवाविहिन ग्रहों पर पर इम्पेक्ट गार्डेनिंग का विचार नया नहीं है. मगर इस शोध से यह पता चल सकता है कि स्पेस से रेडिएशन का क्या असर होता है.


यूरोपा पर विशाल समुद्र


माना जाता है कि बृहस्पति के चांद यूरोपा पर विशाल समुद्र हैं. समुद्र होने की वजह से ही जूपिटर के चांद पर जीवन की संभावना को बल मिल रहा है. पिछले अध्ययन के मुताबिक यूरोपा पर मौजूद समुद्�

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