धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। शनि की साढ़ेसा�
ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव को क्रूर ग्रह माना गया है। क्रूर ग्रह होने के कारण ज्यादातर लोगों का मनाना है कि इनका प्रभाव नकारात्मक होता है। शनि ग्रह सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल से चलने वाले ग्रह है। धीमी चाल के कारण इनका प्रभाव काफी लंबे समय समय तक रहता है। लेकिन शनि देव हमेशा अशुभ फल ही देते हैं ऐसा नहीं होता है। जिन जातकों की कुंडली में शनिदेव शुभ स्थिति में विराजमान होते हैं उनके लिए वे शुभ फल प्रदान करते हैं। शनि की शुभ स्थिति जातकों को मालामाल बना देते हैं। शनिदेव न्याय के देवता हैं यानी जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है उन्हें वह शुभ फल देते हैं और जो जातक बुरे कर्म करता है शनिदेव उन्हें दंडित भी करते हैं।
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या (Shani Sade Sati And Shani Dhaiya)
इस वर्ष शनि का राशि परिवर्तन नहीं होगा। जिस कारण से पूरे वर्ष शनिदेव मकर राशि में ही विराजमान रहेंगे। धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन और तुला राशि पर चल रही है।
शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव सात वर्षों तक रहता है। सात वर्षों तक चलने वाली दशा को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। शनि ग्रह सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। यह एक राशि से किसी दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लेते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में एक बार शनि की साढ़ेसाती अवश्य ही आती है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिन जातकों की कुंडली में शनि अच्छे भाव में रहते हैं तो उसे जीवन में सभी तरह की सुख सुविधा प्रदान करते हैं। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मो के आधार पर शुभ या अशुभ फल देते हैं
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