कोरोना की दवाई बनाने में गोरखपुर के लाल ने निभाई अहम भूमिका, बोले- बाजार में मेडिसिन आते ही काबू में होगा कोरोना
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ विज्ञानी व गोरखपुर के लाल डॉ अनंत नारायण भट्ट ने भारत की पहली कोविड मेडिसिन बनाने में अहम भूमिका निभाई है। गगहा के कौवाडील गांव के रहने वाले अनंत ने दिल्ली से हैदराबाद जाकर डॉक्टर रेड्डीज की लैब में शोध किया, फिर मेडिसिन के असर पर अलग-अलग चरणों का परीक्षण किया गया। डॉ. अनंत नारायण भट्ट के मुताबिक कोविड मेडिसिन के चमत्कारिक परिणाम सामने आए हैं। सांस की दिक्कत वाले 42 फीसदी मरीजों को तीन से चार दिन में राहत मिल गई। इन मरीजों को बाहर से ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं पड़ी। खांसी-बुखार से भी निजात मिल गई। बाकी मरीजों के ठीक होने में छह से सात दिन का समय लगा है।
डॉ. अनंत का कहना है कि मेडिसिन के बाजार में आते ही कोरोना काबू में होगा। मृत्युदर कम हो जाएगी। इसे मेडिसिन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी भी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने शनिवार को दे दी है।
गोरखपुर के 42 वर्षीय वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. अनंत नारायण भट्ट ने कोरोना की पहली लहर के साथ ही मेडिसिन पर काम शुरू कर दिया था। मेडिसिन पर शोध के जो प्रारंभिक नतीजे आए, उससे डीआरडीओ के चेयरमैन सतीश रेड्डी को अवगत कराया। चेयरमैन ने शोध को आगे बढ़ाने का फैसला लिया। साथ ही डॉक्टर रेड्डीज की हैदराबाद स्थित लैब की मदद ली।
मई 2020 में लॉकडाउन था, लिहाजा चेयरमैन ने डॉ. अनंत को विशेष विमान से हैदराबाद भेजा। देश और दुनिया की पहली कोविड मेडिसिन बनाने का जुनून ऐसा था कि डॉ. अनंत ने डॉक्टर रेड्डीज की लैब में एक सप्ताह तक दिन-रात काम किया। सोने व खाने की चिंता तक छोड़ दी। 17 मई को सकारात्मक नतीजों के साथ डॉ. अनंत दिल्ली लौट आए।
इसके बाद कोविड मेडिसिन के दूसरे व तीस



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