असम: वकालत से सियासत तक और अब मुख्यमंत्री, जानें हिमंत बिस्व सरमा का पूरा राजनीतिक सफरनामा
भाजपा की जीत में हिमंत बिस्वा सरमा का योगदान
असम में भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा अपनी सरकार बनाई लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए दो नेताओं के बीच कशमकश जारी रही। बाद में हिमंत बिस्वा सरमा और सर्बानंद सोनोवाल को दिल्ली बुलाया गया। दिल्ली बुलाए जाने के बाद दोनों नेताओं से अलग-अलग और फिर साथ बैठकर बात की गई। बैठक के बाद से ऐसा माना जा रहा था कि हिमंत बिस्वा सरमा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भेजा जा सकता है। असम में भाजपा की दोबारा जीत के पीछे हिमंत बिस्वा सरमा के प्रचंड प्रचार को एक वजह माना जा रहा है।
हिमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक परिचय
हिमंत बिस्वा सरमा के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1980 से हुई थी। उस समय वो छठी कक्षा में थे। उन्होंने ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ज्वाइन की। इसके बाद उन्हें गुवाहाटी यूनिट का जनरल सेक्रेटरी बना दिया गया था। 1990 के दशक में वो कांग्रेस में शामिल हुए और पहली बार 2001 में जालुकबारी सीट से चुनाव लड़ा।
अब वो लगातार पांचवीं बार जालुकबारी विधानसभा सीट से विधायक चुने जा रहे हैं। 2015 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी। 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमंत बिस्वा सरमा की अहम भूमिक रही। 2016 में असम जीतने के बाद उन्हें नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस क�



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