माता के 52 शक्तिपीठ, दर्शन मात्र से ही पूरी हो जाती है हर मनोकामना
हिन्दू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बन गईं। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। जयंती देवी शक्ति पीठ भारत के मेघालय राज्य में नाॅरटियांग नामक स्थान पर है।
देवी भागवत पुराण में 108, कालिका पुराण में 26 , शिवचरित्र में 51, दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गई है। आमतौर पर 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं। तंत्र चूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। कहा जाता है कि इस शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से ही हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
हिंगलाज
कराची से 125 किमी दूर है। यहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है व भैरव को भीम लोचन कहते हैं।
शर्कररे
पाकिस्तान के कराची के पास यह शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की आंख गिरी थी। इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी व भैरव को क्रोधिश कहते हैं।
सुगंधा
बांग्लादेश के शिकारपुर के पास दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है। माता की नासिका गिरी थी यहां। इसकी शक्ति सुनंदा है व भैरव को त्र्यंबक कहते हैं।
महामाया
भारत के कश्मीर में पहलगांव के निकट माता का कंठ गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं।
ज्वाला जी
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वाला जी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) व भैरव को उन्मत्त कहते हैं।
त्रिपुरमालिनी
पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी व भैरव को भीषण कहते हैं।
वैद्यनाथ
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जहां माता का हृदय गिरा था। इसकी शक्ति है जय दुर्गा और भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं।
महामाया
नेपाल में गुजरेश्वरी मंदिर, जहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे। इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं।
दाक्षायणी
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था। इसक



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