गोरखपुर में आईआईटीयन बेच रहा है सब्जी, गेट में मिली थी आल इंडिया 104वीं रैंक
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बीच आईआईटी की ऑफलाइन कक्षाएं नहीं चल रही हैं। लिहाजा घर आ गया। परिवार का बड़ा होने के नाते यह जिम्मेदारी मैंने उठाई है। सब्जी देरशाम तक बिक जाती है। इससे घर का खर्च निकल जाता है। सब कुछ ठीक चल रहा है। एमटेक के बाद नौकरी करेंगे, फिर सब कुछ बदल जाएगा। संघर्ष का नाम ही जिंदगी है।
उत्तर गोरखपुर के ब्रह्मपुर चौराहे पर ठेले पर सब्जी बेचते सामान्य कद काठी के एक युवक को देखकर आप कल्पना नहीं कर सकते कि वे ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट-2020) में ऑल इंडिया104वीं रैंक हासिल करने वाले रामगोपाल कश्यप हैं। ब्रह्मपुर के रहने वाल रामगोपाल इन दिनों यह काम, अपने बीमार पिता की मदद करने के लिए कर रहे हैं।
दरअसल, घर का खर्चा चलाने का यही एक जरिया है, जो पिता की बीमारी से रुक गया था। खैर, आईआईटीयन रामगोपाल की प्रतिभा अब उनके सब्जी के ठेले पर भी नजर आ रही है। नतीजा बिक्री पहले की तुलना में जल्दी और ज्यादा हो रही है।
रामगोपाल, आईआईटी खड़गपुर से एमटेक कर रहे हैं। सेकेंड ईयर की ऑनलाइन कक्षाएं भी चल रहीं हैं। सुबह क्लास करते हैं फिर शाम को ठेले पर सब्जी बेचने निकल पड़ते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते पिता की उम्र और खराब तबीयत के चलते रामगोपाल ने घर का खर्च चलाने की जिम्मेदारी उठाई है।
आईआईटीयन रामगोपाल को सब्जी बेचने में कोई झिझक नहीं है। उनके पिता छुन्न्नूलाल कश्यप फल बेचते रहे हैं। अब कोरोना संकट है। लिहाजा रामगोपाल पिता को घर से बाहर नहीं जाने देते हैं। खुद ठेला लगाकर सब्जी बेचते व परिवार का खर्च चलाते हैं। रामगोपाल ने कहा कि जब मैं छोटा था तब भी पापा के साथ फल बेचने जाता था। पापा ने हमेशा पढ़ाई में मन लगाने को कहा। उन्हीं की मेहनत की बदौलत गेट क्वालीफाई किया और आईआईटी खड़गपुर से एमटेक कर रहा हूं। उनका सपना है कि पढ़ लिखकर नौकरी करूं। पापा का यह सपना पूरा करना है। ठेले पर सब्जी बेचने में शर्म कैसी? घर का खर्च चलाना है तो कुछ करना ही पड़ेगा।



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